गर्भावस्था से जुड़ी समस्‍याएं और सुझाव

गर्भावस्था से जुड़ी समस्‍याएं और सुझाव

परवेश हांडा

समस्‍या: गर्भावस्‍था का चौथा महीना चल रहा है। हर समय थकान क्‍यों महसूस होती रहती है?

समाधान: शारीरिक व मानसिक रूप से शांत रहने की कोशिश करें। हर संभव लंबी सांस लें, इससे प्रसव के समय तकलीफ कम होगी। पीठ के बल लेटकर लंबी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। अब धीरे-धीरे शरीर के विभिन्‍न अंगों की शिराओं को सिकोड़ते हुए शरीर को ऊपर की धकेलिए। फ‍िर थोड़ी देर बाद शरीर को ढीला छोड़ दें। इस अवस्‍था में सोते समय सुखद नींद का आना जरूरी होता है। दाएं या बाएं सोते समय सिर के नीचे एक तकिया व घुटनों के नीचे दो तकिये बिछाने से शरीर को आराम मिलता है।

समस्‍या: मसूढ़ों में सूजन है और खून निकलता है।

समाधान: नरम टूथ ब्रश का इस्‍तेमाल करें। खाने के बाद ब्रश से दांत साफ करें। धीरे धीरे दांतों पर क्रीम मलने से मसूढ़े स्‍वस्‍थ रहेंगे और सूजन खत्‍म हो जाएगी।

समस्‍या: कब्‍ज की शिकायत रहती है।

समाधान: गर्भकाल के दौरान हार्मोंस का असंतुलन कब्‍ज की वजह होता है। अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें जिससे लाभ होगा। कब्‍ज की शिकायत दूर न हो तो अपने डॉक्‍टर की राय लें।

समस्‍या: एकाएक बवासीर की शिकायत हो गई है, क्‍या करूं?

समाधान: लगातार कब्‍ज रहने और गर्भाशय में बच्‍चे के वजन की वजह से मलद्वार के भीतर नलिका में रक्‍त जमा होने से दर्द, जलन और खुजली के कारण शौच के समय रक्‍तस्राव होने लगता है। कब्‍ज होने पर तुरंत उपचार करवाएं और ज्‍यादा देर तक खड़े होने से परहेज करें।

समस्‍या: रात के समय ठीक से नींद नहीं आती। मानसिक तनाव भी रहता है।

समाधान: विश्राम करने से ये समस्‍या दूर हो सकती है। रात को सोने से पहले गुनगुने पानी से स्‍नान करें। नींद न आने पर कोई किताब पढ़ें, ये समस्‍या दूर हो जाएगी।

समस्‍या: पसीना बहुत आता है।

समाधान: गर्भावस्‍था में हारमोंस का बदलाव तेज होता है जिसके कारण शरीर का रक्‍तचाप भी बदलता रहता है। इसके कारण पसीना आता है। रात के समय खुले और ढीले कपड़े पहनें और पानी का सेवन ज्‍यादा करें।

समस्‍या: योनि मार्ग में जलन के साथ गाढ़ा स्राव होता है।

समाधान: गर्भावस्था में हलका स्राव होना कोई समस्‍या नहीं है और इसका भी मुख्‍य कारण हारमोंस में बदलाव होना ही है। पेशाब करते समय भी दर्द और जलन का अनुभव हो सकता है। योनि द्वार के आसपास का क्षेत्र शुष्‍क रहना चाहिए। साबुन का प्रयोग न करें और रेशमी जांघिया न पहनें। स्राव ज्‍यादा हो तो डॉक्‍टर की सलाह लें।

समस्‍या: शरीर में खून की कमी है।

समाधान: खून में हीमोग्‍लोबिन की मात्रा सामान्‍य स्त्रियों में 11 से 14 तक होनी चाहिए। अगर ये मात्रा 10 से कम है तो आपको अपनी डॉक्‍टर से सलाह लेनी चाहिए। खून की कमी होने पर त्‍वचा का रंग पीला पड़ने लगता है और हमेशा थकान महसूस होती है। गर्भावस्‍था में खून की कमी होने पर इसका असर बच्‍चे पर पड़ सकता है इसलिए बेहतर है कि इसके लिए डॉक्‍टर की सलाह ली जाए।

समस्‍या: जांघों, टांगों तथा पैरों के टखनों के नाड़ी मंडल में अकसर गांठें पड़ जाने से ऐंठन के कारण तकलीफ होती है।

समाधान: टांगे क्रॉस करके लंबे समय तक न बैंठें। सोते समय पैरों के नीचे तक‍िया रखने से ये समस्‍या दूर हो जाएगी।

समस्‍या: मुझे डर है कि कहीं गर्भ में जुड़वा बच्‍चे न हों। इसका पता कैसे चलता है और इसे लेकर क्‍या सावधानियां बरतनी चाहिए?

समाधान: अपने डॉक्‍टर से सही जांच के लिए कहें। गर्भ में भ्रूण के लिंग की जांच करना अपराध है मगर गर्भ में कितने भ्रूण हैं ये बताना अपराध नहीं है। डॉक्‍टर सामान्‍य अल्‍ट्रासाउंड के जरिये आपको ये बता सकते हैं कि गर्भ में कितने भ्रूण हैं। ये जानना इसलिए भी जरूरी है कि जुड़वा बच्‍चे होने पर गर्भवती को हर सप्‍ताह जांच करवाने की जरूरत होती है ताकि ये पता चल सके कि दोनों बच्‍चों का विकास सही तरीके से हो रहा है या नहीं। इसके अलावा ऐसी गर्भवती महिलाओं को तीसवें से सैंतीसवे सप्‍ताह के दौरान पूर्ण आराम की जरूरत होती है क्‍योंकि जुड़वां बच्‍चों के मामले में अकसर समय पूर्व प्रसव का खतरा होता है।

(परवेश हांडा की किताब गर्भवती की देखभाल से साभार)

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।